छूने ही नहीं देती अपने पैर मुझे, पता नही कौनसी दौलत छिपा रखी है!


सुना था वो पैसे पल्लू में बांध कर रखती है

अब पल्लू की जगह दुपट्टा तो होता है,

पर उसके कोने में बाँधती वो पैसे नहीं|

लेकिन कुछ दौलत तो ज़रूर है,

जो वो अपने पैरों में छिपा कर रखती है,

छूने ही नहीं देती।

जो पहुंच ही जाए हाथ मेरा,

तो झट से  फटकार देती है।

मेरी छोटी सी कन्या हो 

कह कर टाल देती है।

हां कुछ दौलत तो ज़रूर है माँ के कदमों में,

जो वो मुझसे छिपा कर रखती है।

मेरी छोटी सी कन्या हो कह कर,

अपने पैरों से तुरंत ही मेरा हाथ हटा देती है।

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